ज्यादा तेज, ज्यादा मजबूत: भारत और उसके सुपरकंप्यूटर का इस्तेमाल

भारत को अपने सुपर कंप्यूटरों का इस्तेमाल मौसम की भविष्यवाणी से आगे जाकर करना चाहिए

May 30, 2023 11:00 am | Updated 11:00 am IST

इस साल के अंत में, भारत के पास एक नया ‘सुपरकंप्यूटर’ या और ज्यादा सही ढंग से अगर कहें, तो एक उन्नत ‘उच्च प्रदर्शन क्षमता वाली कंप्यूटिंग (एचपीसी)’ प्रणाली उपलब्ध होगी जो यकीनन इसकी सबसे तेज़ कंप्यूटिंग प्रणाली होगी। यह प्रणाली एक फ्रांसीसी सूचना प्रौद्योगिकी सेवा एवं परामर्श कंपनी- एटोस द्वारा बनाई और स्थापित की जानी है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने दिसंबर 2018 में फ्रांस के साथ 2025 तक 4,500 करोड़ रुपये मूल्य के उच्च प्रदर्शन क्षमता वाले कंप्यूटर खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ये एचपीसी प्रणालियां दो संस्थानों- भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र, नोएडा - में इस्तेमाल होंगी। फिलहाल राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र के पास भारत की दो ऐसी सबसे शक्तिशाली मशीनें- मिहिर और प्रत्यूष -मौजूद हैं। अपने पूर्ववर्तियों की तरह, इन एटोस मशीनों का इस्तेमाल मुख्य रूप से परिष्कृत मौसम मॉडल को चलाने के लिए किया जाएगा। इन मौसम मॉडलों का इस्तेमाल पिछले कुछ सालों से लंबी अवधि के मानसून से लेकर मौसम संबंधी पाक्षिक के साथ - साथ दैनिक बदलावों के पूर्वानुमानों की एक श्रृंखला तैयार करने के लिए किया जा रहा है। इस मकसद के लिए अत्यधिक शक्तिशाली मशीनों की जरूरत होती है क्योंकि सटीक पूर्वानुमान वातावरण एवं महासागरों की स्थिति का अनुकरण कर पाने में सक्षम होने पर आधारित होते हैं। ‘सुपरकंप्यूटर’ एक मूलमंत्र और ऐसा शब्द है जो निरंतर चलन में है। दो दशक पहले के सुपरकंप्यूटर आज के छात्रों के लैपटॉप और गेमिंग कंसोल हैं।

मौसम मॉडलिंग के अलावा, कई चुनौतीपूर्ण शोधों - प्रोटीन जीव विज्ञान, एयरोस्पेस-मॉडलिंग अनुप्रयोग और अब एआई से जुड़े अनुप्रयोग – से संबंधित सवाल जहां कंप्यूटिंग पर अत्यधिक निर्भर हैं, वहीं एचपीसी से लैस होने की हैसियत का इस्तेमाल अपनी तकनीकी शक्ति को दर्शाने के इच्छुक देशों द्वारा एक पदक के तौर पर भी किया जाता है। ‘टॉप500’ परियोजना ने दो दशकों से अधिक समय से शीर्ष 500 सबसे शक्तिशाली एचपीसी मशीनों की एक सूची बनाती आ रही है और इसे साल में दो बार अद्यतन किया जाता है। अगर इस सूची में नए देश शामि लहोते हैं, तो वे अपने प्रणालियों की मौजूदगी का जोरशोर से विज्ञापन करते हैं। फिलहाल, पुणे के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडैक) में रखी गई एक मशीन शीर्ष 100 में शामिल एकमात्र भारतीय मशीन है जिसकी अधिकतम गति 13 पेटाफ्लॉप्स है। ‘फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशंस पर सेकंड (फ्लॉप्स)’ कंप्यूटर प्रोसेसिंग क्षमताओं का एक संकेतक है और 1 पेटाफ्लॉप 1,000 ट्रिलियन फ्लॉप्स के बराबर होता है। भारत में स्थापित होने वाली फ्रांसीसी मशीनों की क्षमता 18 पेटाफ्लॉप्स होने की उम्मीद है और देश के कई शोध संस्थानों में पहले से ही पेटाफ्लॉप श्रृंखला की कुछ मशीनें उपलब्ध हैं। शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर का होना निश्चित रूप से इस बात का एक आश्वासन है कि भारतीय वैज्ञानिक जटिल समस्याओं को हल करने के इच्छुक हैं और वे हमेशा इन भारी-भरकम मशीनों का दोहन कर सकते हैं। लेकिन क्या इन मशीनों के इस्तेमाल ने मौलिक विज्ञान या इंजीनियरिंग वाणिज्यिक उत्पादों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलताएं अर्जित की हैं, यह एक अलग मसला है। जिस तरह से भारत ने अपने अल्पकालिक मौसम पूर्वानुमानों में सुधार किया है और ऐसी मशीनों के बलबूते चक्रवात के पूर्वानुमानों को अधिक सटीक बनाया है, वैसे ही इन मशीनों की गति और शक्ति से जुड़े विशेषणों से संतुष्ट होने के बजाय अन्य क्षेत्रों में इनकी उपयोगिता का व्यापक लेखा-जोखा होना चाहिए।

Top News Today

Comments

Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide by our community guidelines for posting your comments.

We have migrated to a new commenting platform. If you are already a registered user of The Hindu and logged in, you may continue to engage with our articles. If you do not have an account please register and login to post comments. Users can access their older comments by logging into their accounts on Vuukle.