तेल पर नजर: तेल की कीमतें और भारत

भारत को पेट्रोल और डीजल के पंप स्तर की कीमतों को तेल की वैश्विक कीमतों के अनुरूप लाना चाहिए

June 06, 2023 10:43 am | Updated 10:44 am IST

दुनिया के कच्चे तेल के उत्पादकों के सबसे बड़े समूह, जिसे आमतौर पर ओपेक प्लस के नाम से जाना जाता है, ने रविवार को उत्पादन में जारी कटौती को 2024 तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। वजह, यह समूह वैश्विक आर्थिक मंदी से जुड़ी चिंताओं के बीच तेल की कीमतों को गिरने से रोकना चाहता है। ओपेक के प्रमुख एवं अग्रणी उत्पादक सऊदी अरब ने भी स्वेच्छा से जुलाई में अतिरिक्त एक मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) उत्पादन कम करने की कसम खाई, जिससे सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के वायदा अनुबंधों के भाव बढ़ गए। कुल 20 से अधिक देशों के ओपेक प्लस समूह, जो मांग में तेजी के बरक्स कीमतों का समर्थन करने के वास्ते आपूर्ति को कम करने का प्रयास कर रहे हैं, ने अप्रैल में हैरतअंगेज तरीके से उत्पादन में 1.66 मिलियन बीपीडी की अतिरिक्त कटौती की घोषणा की थी। हालांकि, इस कदम का कीमतों पर प्रभाव अल्पकालिक और मानक ‘ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स’ अप्रैल में हैरतअंगेज तरीके से उत्पादन में कटौती के चलते 87 अमेरिकी डॉलर के ऊपर चढ़ने के बाद बड़े पैमाने पर 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहा है। अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 80 फीसदी से ज्यादा आयात करने वाले भारत के लिए, आपूर्ति में कटौती की सऊदी-सह-ओपेक प्लस की संयुक्त घोषणाएं कुछ चिंता का सबब हैं क्योंकि इन देशों के पास वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों को बढ़ाने की क्षमता है। फिर भी, मास्को के यूक्रेन पर हमले और इसके चलते रूसी ऊर्जा निर्यात पर लगे पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बाद से भारत की ओर से रूस से कच्चे तेल की अपनी खरीद में तेजी से बढ़ोतरी करने से तेल के एक आयातित बैरल के लिए भारत द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत में लगातार गिरावट आ रही है।

पिछले सप्ताह के अंत तक, भारत के कच्चे तेल की टोकरी की औसत मासिक कीमत जून 2022 के अपने उच्चतम स्तर 116.01 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से 38 फीसदी गिरकर 72.39 अमेरिकी डॉलर हो गई थी। ओपेक प्लस के हालिया कदम के चलते वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में निकट अवधि की बढ़ोतरी के रुझान की खासी संभावना है, लेकिन भारत ने रूसी कच्चे तेल के अपने बढ़ते आयात के जरिए किसी भी खास प्रतिकूल प्रभाव से खुद को काफी हद

तक सुरक्षित रख लिया है। भारत ने मार्च महीने में इस प्रतिबंध-प्रभावित देश से अपने कुल तेल का एक तिहाई हिस्सा खरीदा है। फिर भी, कच्चे तेल की खरीद की कीमतों में नरमी का फायदा भारतीय उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा है। पेट्रोल और डीजल की पंप कीमतें 22 मई, 2022 से अपरिवर्तित बनी हुई हैं क्योंकि शायद लागत में भविष्य में होने वाली किसी भी वृद्धि से खुद को बचाने के तरीके के तौर पर केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ तेल विपणन कंपनियां किसी भी राजस्व को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। अब जबकि खुदरा मुद्रास्फीति में हाल के महीनों में कमी आने के संकेत दिख रहे हैं और मुद्रास्फीति की वजह से उपभोग क्षमता में क्षरण के चलते निजी उपभोग खर्च के आंकड़ों में उत्साह की एक स्पष्ट कमी दिखाई दे रही है, नीति निर्माताओं को ईंधन की कीमतों से जुड़े अपने रुख का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। विशेष रूप से राज्यों के राजस्व संबंधी निहितार्थों को देखते हुए तेल से जुड़े उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग जहां जल्द ही पूरी होने की संभावना नहीं है, वहीं केन्द्र प्रमुख परिवहन ईंधनों पर अपने शुल्क में कटौती करके एक पहल कर सकता है और अर्थव्यवस्था को राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है।

Top News Today

Comments

Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide by our community guidelines for posting your comments.

We have migrated to a new commenting platform. If you are already a registered user of The Hindu and logged in, you may continue to engage with our articles. If you do not have an account please register and login to post comments. Users can access their older comments by logging into their accounts on Vuukle.