शहरी परिवेश में विशाल ‘आउटडोर बिलबोर्डों’ के दुर्घटनाग्रस्त होने और मौत का सबब बनने की घटनाएं अब अपवाद नहीं हैं। पिछले हफ्ते कोयम्बटूर में एक बिलबोर्ड को बदलने के दौरान स्टील फ्रेम के गिरने से कुचलकर हुई तीन श्रमिकों की मौत जैसी त्रासदियां दुर्लभ नहीं हैं। अधिकारियों ने बिना कोई समय गंवाए उस बिलबोर्ड को अवैध घोषित कर दिया, लेकिन इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि आखिर वह बिलबोर्ड वहां कैसे टंगा था। विडंबना यह है कि अप्रैल में होर्डिंग, बैनर और तख्तियों के लाइसेंस से जुड़ी शर्तों के जिक्र के साथ तमिलनाडु शहरी स्थानीय निकाय नियम 2023 की अधिसूचना जारी की गई थी। शहरों में बिलबोर्डों के तेजी से बढ़ने से जुड़ी चिंताओं के बीच, नगरपालिका प्रशासन मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इन नियमों को यह सुनिश्चित करने के लिहाज से अधिसूचित किया गया है कि अनाधिकृत बिलबोर्डों की इजाजत नहीं होगी। कम से कम दो दशकों की रिपोर्टें बिना लाइसेंस वाले बिलबोर्डों को रोकने में कई नगर निगमों की विफलता को दर्शाती हैं। कभी-कभार होने वाली सुधारात्मक कार्रवाइयां अक्सर न्यायपालिका के हस्तक्षेप या घातक दुर्घटनाओं की वजह से अमल में आईं हैं। इसका एक मामला तमिलनाडु और इसकी राजधानी चेन्नई का है, जहां 2008 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हजारों अनाधिकृत होर्डिंग हटाए गए थे जिससे छिपे हुए हरे-भरे परिदृश्य और शहरी क्षितिज सामने नजर आने लगे थे।
दुर्भाग्य से, यह कार्रवाई जारी नहीं रह सकी। नियमों का उल्लंघन करने वालों में सबसे आगे राजनीतिक पार्टियां थीं, जिनके कई नेता फ्लेक्स बैनरों और रोशनी वाले कट-आउटों पर अपनी महामानव वाली छवि को बढ़ावा दे रहे थे। चेन्नई में 2019 में उस वक्त जबरदस्त आक्रोश फैला था, जब स्कूटर पर सवार एक युवती की एक राजनीतिक दल द्वारा लगाए गए बैनर से चोटिल होकर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। आउटडोर विज्ञापन के लाभप्रद अधिकारों पर राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों एवं समूहों द्वारा कब्जा कर लिया गया है और कानूनी एवं हर मौसम के उपयुक्त संरचनात्मक स्थिरता से जुड़ी शर्तों को लागू करने की बहुत कम प्रशासनिक इच्छाशक्ति है। बिना लाइसेंस वाले होर्डिंग्स की गिनती करने, समय-समय पर अधिकृत बिलबोर्डों का निरीक्षण करने और अस्थिर या अवैध बिलबोर्डों के खिलाफ कार्रवाई करने के वास्ते नगर पालिकाओं में पर्याप्त कर्मचारियों की कमी भी दुर्घटनाओं में योगदान देती है। यह चिंता का विषय है कि होर्डिंग के नियमन का आह्वान करने वाली न्यायपालिका ही अक्सर अधिकारियों को अनधिकृत लोगों को हटाने से रोकने के आदेश पारित करती है। नियमों का उल्लंघन करने वाले कड़ी सजा के हकदार हैं। मौतों के मामले में, उनके खिलाफ गंभीर धाराएं लगाना, उन्हें काली सूची में डालना व उनसे मुआवजा वसूल करना और मिलीभगत करने वाले अधिकारियों पर मुकदमा चलाना उचित होगा। अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने बिलबोर्ड को सड़कों पर खतरनाक रूप से ध्यान भटकाने वाला होने की ओर इशारा किया है क्योंकि वे चालक द्वारा प्रतिक्रिया करने के समय, वाहन पर पार्श्व नियंत्रण और स्थितिजन्य सजगता को प्रभावित करते हैं। इस किस्म के ध्यान भटकाव से होने वाली दुर्घटनाओं को भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वार्षिक रिपोर्ट में दर्ज किया जाना चाहिए। यह बिलबोर्ड और 2023 में वैश्विक स्तर पर 67.8 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की ओर अग्रसर आउटडोर विज्ञापन बाजार से जुड़ी बेहतर नीतियों को तैयार करने में मददगार साबित हो सकता है।
COMMents
SHARE